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Friday 31 October 2014
Dost ki Shadishuda Bahan ko Choda-2
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Dost ki Shadishuda Bahan ko Choda-1
Dost ki Shadishuda Bahan ko Choda-1
दोस्तो, मैं lusty अपनी नई कहानी लेकर आप लोगों के सामने हाजिर हूँ।
yeh kahni mere ek dost ki hai ,,, so aagay ki kahni uski jubani.
यह कहानी मेरे दोस्त मयंक की बहन अंकिता और मेरी है।
दिल्ली में मयंक मेरा एक दोस्त था और मैं उसके घर आता-जाता रहता था।
एक दिन मैं उसके घर गया तो मैंने एक लड़की को देखा। मैंने उसे देखते ही सोचा कि यार चूत तो यहीं मिल गई।
जब मैंने उसे देखा तब वो कैपरी और टी-शर्ट में थी। उसका फिगर 34बी-26-32 होगा।
क्या मस्त उठी हुई चूचियाँ थीं। उसके गोरे गाल बिल्कुल दूध की तरह, गुलाबी होंठ जैसे बुला रहे हों कि आओ हमें चूस लो, काले और लम्बे बाल जो खुले हुए थे… आह.. क्या नशीला बदन था..!
उसको देखकर मेरे होश उड़ गए। उसकी पतली कमर, चिकनी मस्त गांड, भरी हुई बड़ी-बड़ी चूचियाँ देख कर मेरे मन में उसके साथ रात बिताने के ख्याल आने लगे।
उसकी बगैर ब्रा की टी-शर्ट से बड़ी-बड़ी चूचियों की घुन्डी साफ दिख रही थीं।
उसकी झील सी गहरी आँखों का तो जवाब ही नहीं था, तीखे नयन-नक्श, कुल मिला कर उसके बदन में कहीं से भी कोई भी कमी नजर नहीं आती थी।
उसकी उम्र लगभग 25 साल होगी, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझे लगा कि मैं खड़े-खड़े झड़ जाऊँगा।
तभी मेरे दोस्त ने बताया कि यह उसकी ममेरी बहन है जिसकी 35 दिन पहले शादी हुई है। लेकिन उसके पति को कॉल आ गया और शादी की रात को ही चले गए।
यह दिल्ली से ही एमबीए करने आई है।
मैंने मन में सोचा इसने तो अभी सुहागरात भी नहीं मनाई होगी। अब यही मेरे लौड़े के निशाने पर रहेगी।
मैं बोला- चलो अच्छी बात है।
फिर मैं बैठ गया तब वो चाय लेकर आई, मुझे देने के लिए झुकी जिससे उसकी दोनों चूचियों की आधी झलक मुझे दिख गई।
मैं ध्यान से उसकी चूचियों को देख रहा था। मेरा मन कर रहा था कि अभी ही मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसल दूँ, पर मैं कुछ कर नहीं सकता था।
यह बात शायद उसे पता चल गई थी, वो जानबूझ कर सोफे पर ऐसे झुक कर बैठी कि मुझे उसके मम्मे आसानी से दिख जाएँ।
मैंने भी उसके मम्मे को देखने का लालच नहीं छोड़ा।
उसने मुझे देखते हुए पकड़ लिया, वो मुस्कराई और मैं शरमा गया लेकिन हम दोनों की नजरें बहुत कुछ कह गई थीं।
अब मैं मयंक के घर बहुत जाता था। मयंक से मिलने और फिर अंकिता को ताड़ने और किसी बहाने से उसको छूने का प्रयास करता रहता।
अब तक वो भी समझ गई थी कि मैं इतना उसके घर क्यों आता हूँ, तो जब भी जाता मुझे अपने प्यारे सामान दिखा कर मजा देती थी।
मुझे जब भी मौका मिलता उसके चूतड़ों को दबा देता तो कभी चूची पर हाथ फेर देता था।
वो मुस्कुरा कर कुछ नहीं बोलती तो मैंने सोचा कि अगर इससे अकेले में मुलाक़ात हो तो यह चुद भी सकती है।
मैं वैसा ही कोई मौका ढूँढ़ने लगा।
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई और मुझे मौका मिल गया।
एक दिन मैं उसके घर गया और घर के बाहर से आवाज दी, पर कोई बाहर नहीं आया।
मैंने दरवाज़े की घण्टी बजाई तो अन्दर से अंकिता बाहर आई और तब वो रेशमी चोली, घाघरी और ओढ़नी पहनी थी।
तो मैंने पूछा- मयंक है?
उसने कहा- घर में कोई नहीं है, सब बाजार गए हैं।
यह सुन कर मैंने मन ही मन में सोचा आज इसको चोदने के लिए राज़ी करने का अच्छा मौका है, मैं अन्दर चला गया।
दोस्तो, मैं lusty अपनी नई कहानी लेकर आप लोगों के सामने हाजिर हूँ।
yeh kahni mere ek dost ki hai ,,, so aagay ki kahni uski jubani.
यह कहानी मेरे दोस्त मयंक की बहन अंकिता और मेरी है।
दिल्ली में मयंक मेरा एक दोस्त था और मैं उसके घर आता-जाता रहता था।
एक दिन मैं उसके घर गया तो मैंने एक लड़की को देखा। मैंने उसे देखते ही सोचा कि यार चूत तो यहीं मिल गई।
जब मैंने उसे देखा तब वो कैपरी और टी-शर्ट में थी। उसका फिगर 34बी-26-32 होगा।
क्या मस्त उठी हुई चूचियाँ थीं। उसके गोरे गाल बिल्कुल दूध की तरह, गुलाबी होंठ जैसे बुला रहे हों कि आओ हमें चूस लो, काले और लम्बे बाल जो खुले हुए थे… आह.. क्या नशीला बदन था..!
उसको देखकर मेरे होश उड़ गए। उसकी पतली कमर, चिकनी मस्त गांड, भरी हुई बड़ी-बड़ी चूचियाँ देख कर मेरे मन में उसके साथ रात बिताने के ख्याल आने लगे।
उसकी बगैर ब्रा की टी-शर्ट से बड़ी-बड़ी चूचियों की घुन्डी साफ दिख रही थीं।
उसकी झील सी गहरी आँखों का तो जवाब ही नहीं था, तीखे नयन-नक्श, कुल मिला कर उसके बदन में कहीं से भी कोई भी कमी नजर नहीं आती थी।
उसकी उम्र लगभग 25 साल होगी, वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझे लगा कि मैं खड़े-खड़े झड़ जाऊँगा।
तभी मेरे दोस्त ने बताया कि यह उसकी ममेरी बहन है जिसकी 35 दिन पहले शादी हुई है। लेकिन उसके पति को कॉल आ गया और शादी की रात को ही चले गए।
यह दिल्ली से ही एमबीए करने आई है।
मैंने मन में सोचा इसने तो अभी सुहागरात भी नहीं मनाई होगी। अब यही मेरे लौड़े के निशाने पर रहेगी।
मैं बोला- चलो अच्छी बात है।
फिर मैं बैठ गया तब वो चाय लेकर आई, मुझे देने के लिए झुकी जिससे उसकी दोनों चूचियों की आधी झलक मुझे दिख गई।
मैं ध्यान से उसकी चूचियों को देख रहा था। मेरा मन कर रहा था कि अभी ही मैं उसकी चूचियों को पकड़ कर मसल दूँ, पर मैं कुछ कर नहीं सकता था।
यह बात शायद उसे पता चल गई थी, वो जानबूझ कर सोफे पर ऐसे झुक कर बैठी कि मुझे उसके मम्मे आसानी से दिख जाएँ।
मैंने भी उसके मम्मे को देखने का लालच नहीं छोड़ा।
उसने मुझे देखते हुए पकड़ लिया, वो मुस्कराई और मैं शरमा गया लेकिन हम दोनों की नजरें बहुत कुछ कह गई थीं।
अब मैं मयंक के घर बहुत जाता था। मयंक से मिलने और फिर अंकिता को ताड़ने और किसी बहाने से उसको छूने का प्रयास करता रहता।
अब तक वो भी समझ गई थी कि मैं इतना उसके घर क्यों आता हूँ, तो जब भी जाता मुझे अपने प्यारे सामान दिखा कर मजा देती थी।
मुझे जब भी मौका मिलता उसके चूतड़ों को दबा देता तो कभी चूची पर हाथ फेर देता था।
वो मुस्कुरा कर कुछ नहीं बोलती तो मैंने सोचा कि अगर इससे अकेले में मुलाक़ात हो तो यह चुद भी सकती है।
मैं वैसा ही कोई मौका ढूँढ़ने लगा।
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई और मुझे मौका मिल गया।
एक दिन मैं उसके घर गया और घर के बाहर से आवाज दी, पर कोई बाहर नहीं आया।
मैंने दरवाज़े की घण्टी बजाई तो अन्दर से अंकिता बाहर आई और तब वो रेशमी चोली, घाघरी और ओढ़नी पहनी थी।
तो मैंने पूछा- मयंक है?
उसने कहा- घर में कोई नहीं है, सब बाजार गए हैं।
यह सुन कर मैंने मन ही मन में सोचा आज इसको चोदने के लिए राज़ी करने का अच्छा मौका है, मैं अन्दर चला गया।
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